अखंडता के सम्मान में. (हिंदी)

आज, 68 साल से लोह पुरुष की अनुपस्थिति, के बावजूद भी उनकी उपस्थिति सच्चे भारतीयों के हृदय में अनुभव होती है. हमारा निराला भारत, जब अंग्रेज छोड़ कर गए तब ऐसी परिस्थिति में था कि मानो किसी ने गोलियों से छलनी कर दिया हो. 562 अलग रजवाड़े, सभी स्वतंत्र होना चाहते थे भारत से, और ऐसी परिस्थिति को सुधारने का बृहतकाय काम केवल एक ही पुरुष को दिया जा सकता था. एक उच्च कोटि के वकील, अति प्रभावी वक्ता, लोह सी इच्छाशक्ति रखने वाले और भारत माता के सबसे समर्पित पुत्र, श्री सरदार वल्लभभाई पटेल, को दिया गया. उन्हे निर्णायक कहा जाता हैं. उनके बारे में केवल पढ़ने से भी उनके लिए सम्मान जागता है. उनके चतुर विचारो और शीघ्र समय में निर्णय लेने की क्षमता के कारण जोधपुर के महाराजा हनवंत, मोहम्मद अली जिन्ना के पाकिस्तान में जुड़ने के ब्लैंक चेक को मना कर सके. वे समझौता करने की कला में इतने निपुण थे कि उन्होने उस राज्य के लोगो को आनेवाला सालो के अत्याचारों से बचा लिया जो पाकिस्तान आज तक पाकिस्तानी हिंदुओं के साथ करता आया है. ऐसीही निपुणता उनकी लोक प्रशासन में भी प्रदर्शित हुई जब वे जूनागढ़ को पाकिस्तान के चं...